ये पनचक्कियाँ
ये पनचक्कियाँ
बादलों को देख मौसम खराब होने का हो रहा है आभास।
बार-बार रही चमक घन बीच दामिनी किरण प्रकाश।
नाविक मौसम की आहट से पाल को गिरा रहे हैं।
अपने साथी मल्लाहों को, पुकार तेजी से बुला रहे हैं।
द्वारिका जाते राह के दोनों ओर तैनात देखी पनचक्कियां।
मानो स्वागतार्थ खड़ी सुन्दर नववधू सी अप्सरा पंक्तियाँ।
ये चलती पवनचक्की मानों स्वर्ग को हवा दे हरषा रहीं हैं।
आगन्तुक को हाथ हिला द्वारिकाधीश का रास्ता बता रहीं।
सर्वप्रथम बिजली निर्माण डेनमार्क में 1980 में हुआ आगाज।
मीथेन, कार्बन का भी न कोई खतरा,ये हैं बड़ी तीरंदाज।
हवा बहाव की ऊर्जा को बदल बनाती विद्युत पवन चक्की।
विद्युत ऊर्जा पानी खींचती संग चलाती आटे की चक्की।
बहती हवा पनचक्की के पंखों से पवन टकराती।
उस पर बल आरोपित कर पनचक्की के पंखे घुमाती।
पैदा हुई उर्जा को जनरेटर बिजली में परिवर्तित कर देती।
पर्यावरण साफ-स्वच्छ रहता ग्रीनहाउस गैस नहीं बनाती।
प्रकृति नजारे दिखते प्यारे,चमकते सूर्य चाँद ,वर्षा बूंद फुहारें।
घिरते काले बादलों की घटा, निखरती ओसबूंद निहारें।
समुद्र तट पर खड़ा चर्च पास डची यहूदी कब्रिस्तान।
ब्लीचिंग मैदान,ऊर्जा का नवीकरण स्रोत हर्लेम दृश्यमान।
3 डचप्राणी देख रहे थे हैरान,जीवन है कितना गतिमान।
लहरों में उठी थी हलचल, निस्तब्ध समुद्र वीरान सूनसान।