ये कौन चित्रकार है
ये कौन चित्रकार है
भगवान की दूसरी कृति पापा हैं
चाहे धरती सी सहनशीलता नहीं है
पर आकाश सा विस्तारित
उनकी गोद में संसार है
दिल हमेशा शहंशाह
हर ख्वाहिश पूर्ण वहाँ
उन्हीं से हक उन्ही से जिद्द
यहाँ तक कि दावा भी ...।
माँ तो रम जाती हैं अपनी गृहस्थी में
पर पिता सम्भालते पिता के घर को
जोड़े रखते हैं पिता से जुड़े रिश्तों को
लाज ढोते हैं कई परिवारों की
सम्मान देते हैं बुआ ,बहन , बेटी,बहु-बेटी
सबके परिवारों को ...
संयुक्त परिवार की सबसे सशक्त कड़ी
सच कहूँ उनका गुस्सा करना जायज है
टोकना डाँटना हक है पापा का...
क
ह तो दिया पापा की सहनशक्ति कम है
कभी सोचा किसी ने
परिवार की शांति के लिए
कितनी बार ....
कितनी बार खुद को रोक...
कितनी पीड़ा सही है .....
भगवान ने भी कमाल का सृजन किया है ....
जहाँ बेटा पिता से दिल की न कह पाए ..
वहाँ माँ कोड वर्ड बन
परिवार की ढाल बन जाती।
क्योंकि .....
क्योंकि माँ का संबल.
माँ का विश्वास ...
उसके बच्चों के पिता ही हैं...
जिसके दम पर वह अकेली
सारी दुनिया से लड़ सकती है ...
माँ - पापा से ही संसार हैं
दोनों इक दूजे की ढाल
घर की सशक्त नींव.....
रिश्तों की मिनार हैं ....