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भावना भट्ट

Abstract

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भावना भट्ट

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ये दुनिया बड़ी अलबेली

ये दुनिया बड़ी अलबेली

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यहाँ झूठ फरेब का जोर है हरसूँ

सच का कोई मोल नहीं है


जो सबको पसन्द आ जाए

अब क्या करूँ, मेरे ऐसे बोल नहीं है


अपने हुए पराए, पराए बने अपने

इन रिश्तों का कोई तोल नहीं है


सच इक दिन आना ही है सामने

छल का कोई खोल नहीं है


सच्चाई अकसर कड़वी ही होती है

सच को जो मीठा कर दे, ऐसा कोई घोल नहीं है


लोग कहते हैं, मैं अपने जज़्बात दिखाती नहीं

तो सुनिए जनाब, ये दिल है मेरा कोई ढोल नहीं है


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