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AKIB JAVED

Romance

3  

AKIB JAVED

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ये धड़कन कभी तुम बताना मुझे ही

ये धड़कन कभी तुम बताना मुझे ही

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ये धड़कन कभी तुम बताना मुझे ही।

कभी भी नहीं तुम सताना मुझे ही।।


मेरी चाहतों को वो समझा नही हैं।

सदा दोष  देता ज़माना मुझे ही।।


गया छोड़ हमको तन्हा ज़िन्दगी में।

ऐसे ज़िन्दगी में रुलाना मुझे ही।।


किया हूँ जो अल्हड़ जवानी में ग़लती।

कमी को मेरे तुम बताना मुझे ही।।


कभी रह गुज़र थी दयारों पे उनके।

ये सूनापन तुम अब दिखाना मुझे ही।।


लबों पे थी उनके ही ख़ामोशियाँ जो।

है ख़ामोशियों को निभाना मुझे ही।।


ये आँखों के आँसू बयाँ करते आकिब'

पड़ेगा ये चाहत दबाना मुझे ही।।




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