यार के दीदार का
यार के दीदार का
फिर से मौसम आ गया है यार के दीदार का
प्यार की मनुहार का ।।
जिंदगी ने देख करवट ली है फिर निकली किरन।
सतरंगी आँचल उड़े फिर हो गया रंगी गगन ।।
फिर हवाओं में घुली है गंध पगलाया पवन ।
फिर बहारों ने सजाई है गुलों की अंजुमन ।।
वक्त है ये इश्क के इज़हार का इकरार का ।
प्यार की मनुहार का ।।
आस की राधा मिली विश्वास के घनश्याम से ।
प्यार फिर परवान चढ़ता बेखबर अंजाम से ।।
अनवरत आकाश है रति मग्न देखो शाम से ।
तृप्त होकर अब धरा विश्राम रत आराम से ।।
है समय ये तो समर्पण के अमर विस्तार का ।
प्यार की मल्हार का ।।
ताल स्वर लय का मिलन तो हृदय उद्वेलित करे।
ये त्रिवेणी का मधु जन जन को आप्लावित करे।।
भावनाओं का उठा ज्वर दिल को स्पंदित करे ।
मन की भाषा दृग किसी के रोज अनुवादित करे।।
घिर गया तूफान में दिल असरा पतवार का ।
प्यार की मनुहार का ।।