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सोनी गुप्ता

Abstract Romance Classics

4  

सोनी गुप्ता

Abstract Romance Classics

यादों की राहों में

यादों की राहों में

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सच कहता भारी मन से मैं हर उस दिन को जी लेता हूँ, 

जब-जब याद उनकी आती अपने सपनों को ढो लेता हूँ, 


यादों की राहों में जब कभी भी, बेमौसम पतझड़ आया , 

उस बेमौसम पतझड़ में भी मैं हर यादों को सी लेता हूँ I


सच्चा मीत हो तो जिंदगी की धूप भी शीतल लगती है, 

मीत बिना यह जिंदगी मरू की तपन - सी झुलसती है, 


दूर रहो मुझसे तुम पर दोस्ती ये हमेशा कायम रखना, 

यादों में रहना क्योंकि जिंदगी तुम बिन न संभलती है I


तुम गए सब संगी साथी और नाते रिश्ते सभी टूट गए, 

समय का खेल देखो अब तो अपने ही हमसे रूठ गए, 


अब यूँ तो भारी मन से मैं हर उस दिन को जी लेता हूँ,  

छोड़ दो बीती बातों को जो गुजरे थे दिन वो बीत गए I


धीरे -धीरे ,धीमे- धीमे मेरा व्याकुल मन कुछ कहता है, 

मंद- मंद सी बहती हवा में एक अपनापन-सा रहता है, 


दोस्ती का रिश्ता जीवन में, एक नया उल्लास भरकर, 

नव प्रभात बनकर जीवन के हर क्षण को महकाता है I


दूर रहकर भी हमें अपनी यादों में हमेशा जिंदा रखना, 

याद आए जब इस दोस्त की अपने सुख- दुख कहना, 


इस छोटी- सी दुनिया में तुम हमें ना भूल जाना कभी, 

दूर ही सही पर यादों में हमारे हमेशा संग-संग ही रहना।


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