यादों की इबारत
यादों की इबारत
जिंदगी का पल पल आ रहा
पास जिंदगी का विश्वास प्यार
का आरम्भ अवसान।।
बीत चुके चार साल तन्हाई में पीछे छुट गए
प्रेम प्यार प्रेयसी से बातें करना
बीते अतीत के लम्हों कदमों
का वर्तमान बाते मुलाकातें करता बार बार।
कभी कभी ऐसा भी होता
लाख जतन करु,कर लू कोई प्रसास
जीवन की गम खुशियो का साथ।।
आंसू गम मुस्कान की परछाई भी
आती यादों ख़्वाबों ख्यालों में
न चाहते हुए भी बार बार।।
एकांत में बेचैन उसकी दीवार पर लगी
तस्बीर देखता बंद आलमारी में रखे
पुराने ख़त निकालता पलटता बार बार।।
आलमारी में रखे पुराने खत खोलते
ही अतीत की याद हो जाती
वर्तमान पहली मुलाक़ात के नखरे
मिलने इंतज़ार के सिलसिले।
घंटो बाते करना रूठना मनाना
देर शाम हो जाने पर माँ बाप की
फटकार।।
आलमारी में रखे पुराने खत से अतीत
की यादो के खुलने लगे राज दीवार पर
लगी किस्मत प्यार जिंदगी की तस्बीर।।
मुस्कुराती जैसे वह बताती बीते अतीत
लम्हा सच्चाई तन्हाई की साथी
जीवन साथी आज भी हमसफ़र हमराह।।
आलमारी में रखे पुराने ख़त
जिंदगी की सच्चाई मिलन
जुदाई तमाम उतार चढाव।।
गिरना संभलना फ़िए नए
जोश से जिंदगी की सच्चाई कांटो के बीच
गुलाब प्रेयसी प्रेम प्यार जिंदगी
का साथ अब तन्हाई की परछाई साथ।।