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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Romance Tragedy Classics

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Romance Tragedy Classics

यादें

यादें

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बरसात की ये रातें 

हमदम बुला रहीं हैं।

हमको तेरी यादें,

हमदम बुला रही हैं।।


तेरे बिन जियें कैसे,

कुछ तू ही बता दे।

ये रात सर्द काली ,

हमदम बुला रही हैं।।


तुमसे कहेंगे ये दिन,

तुमसे कहेंगी रातें।

देखो ओस पुरनम,

हरदम बुला रही हैं।।


कैसा है ये मौसम ,

क्यों हैं दूरियाँ बता दो।

तन्हाईयाँ हमारी,

हमदम बुला रही हैं।।


दिल में है दर्द मेरे,

तन्हा सा रह रहा हूँ।

तुम्हैं मस्तियाँ हमारी ,

हमदम बुला रही हैं।।


दीवानगी का आलम,

कैसी यादें क्या बताएं।

नश्तर चुभो -चुभो के,

हर दम बुला रही हैं।।


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