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Neha Bhanot

Abstract

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Neha Bhanot

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"#यादें

"#यादें

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मायके की यादों को दिल में बसा

 आ गई वह ससुराल 

यहां किसे दिल खोल कर बताएं 

वह अपना हाल 


कोई काम उसका अधूरा छूट न जाए

 यहां तो उसे हर पल बस यही बात सताए्

 कोई हो जाए जो गलती 

वह किसी बताएं 


मां-बाप की तरह उसकी उलझन कौन सुलझाए

 हर पल उसे बस अपनों की याद सताए 

काश ससुराल में भी कोई

 अपना उसका बन जाए 

सासू मां भी उसे बहू की जगह

 बेटी कह कर बुलाए 

उसकी उम्मीदों को नया 

 आकाश मिल जाए।


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