जल सा....#नारी जीवन
जल सा....#नारी जीवन
मायके में रंगी बाबुल रंग...
पर वह रंग तो कच्चा निकल आया ..
जवान होने पर भेज दी गई ससुराल ....
सब ने मिलकर उसको...
बेटी से बहू बनाया..
जल सी वो नारी निकली...
हर रंग में खुद को रंगाया...
फिर मां बनके वह रंगी बच्चों के रंग...
हर पल उसे फिकर बस परिवार की...
खड़ी रही अपनों के संग..
बहती रही वो जल सी अविरल..
खुद का वजूद मिटाया ..
अरमान है उसके भी कुछ अपने..
किसी के मन में यह ख्याल ना आया..
बस नारी ने तो अपने आप को
जल सा शांत बनाया!