Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Babu Dhakar

Classics Inspirational Others

4.5  

Babu Dhakar

Classics Inspirational Others

यादें (डायरी के संग)

यादें (डायरी के संग)

2 mins
230


कुछ मासुमियत से चेहरों पर उदासी है

कभी कम कभी ज्यादा होती परेशानी है

अलग अंदाजों में अपने आप दाग लगे हैं 

सरल जीवन जीना भी तो यहां बहुत बेईमानी है ।


कुछ खट्टा और कुछ मीठा जीवन का सफर होता है

अनुभव जीवन के यथार्थ के पर्याय बनते जाते हैं

कुछ यादें दिमाग़ का दही कर जाती है

यहीं यादें जीवन में यादगार हो जाती है ।


मेरी यादों के सफर में रही जो विपदायें है

संग में यादों के स्तरों में कोरे कागज भी कारे है

मेरे अंग कहलायेंगे डायरी सिर्फ तेरे पन्ने

मेरी यादों को जिवित रखेंगे अक्षर तेरे सजे ।


अंधेरों में मुझे मेरी मंजिल ना दिखाई देती है

मेरी आहें मेरे विचारों को व्यक्त नहीं कर पाती है ।

बातें करने को मेरे पास कोई नहीं होता है

रातों का सफर यूं अधूरी नींद के ही पूरा होता है।


तेरे दम से डायरी मैं अपना हाल सुनाता हूं 

तेरे कारण में कुछ अलग नियम बनाता हूं

तू खामोशी में अपनी बातें कहने में माहिर हो 

मैं कहकर भी अपनी बातें नहीं कह पाता हूं ।


ये शब्द तेरे है पर कहानी सारी मेरी है

तेरी तरह मेरे जीवन को कोई पढ़ जाये

मेरे स्वभाव के भावों को कोई समझ जायें

तेरे पन्नों की स्याही सा कोई राही मिल जायें ।


मेरा दिल है जिसका, उसे कहना मेरे करीब आये

दिल के घर में बैचेन हो बैठा न जाने क्यौं शरमाये

यूं छुपते रहेगा मुझसे तो राहों में राहतें ना मिल पायेंगी 

डायरी सिर्फ तुझे बातें सुनाते सुनाते ही राहें पार हो जायेंगी ।


हवा का सर्द झोंका

मिलने का देता मौका

जरा बताओ किसने रोका

मुझको जो राहों में छोड़ा ।


मैंने छेड़ा यादों का स्वर 

तुम हो गयी हो नि: शब्द

जब मैंने सुना कि तुने मुझे चुना

तब मेरी मंजिलों ने मुझे ना चुना ।


सारी हदें पार कर तुम बने हो आर पार

कुछ शर्तें स्वीकार की तो लगा संसार असार

तुम आसमां सा अपना विस्तार करने में लगे रहे

मैं समुन्दर में पर्वत सा अपनी जगह अचल बना रहा ।


डायरी प्यारी सुन मेरी शायरी

बावरी सखी ना बता मेरी कहानी

ख़्याली पूलाव खिलाकर ना बना पहेली

डायरी तेरी शायरी हैं बस मेरी सहेली ।


इस के साथ बस इतना ही

मुझ को समझना बस इतना ही

मेरी डायरी कुछ भी नहीं कहती है

बस ऐसे ही वक्त जाया करती रहती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics