याद
याद
ढलता हे दिन हो जाते हे शाम में गुम, तो तुमारी याद आती हे
ऐ तन्हाई मेरी हो जाते हे जाम में गुम, तो तुमारी याद आती हे
हमने कभी ठीक से ना की खुदा की बंदगी तेरे आने के बाद,
अब कभी हो जाते हे जब राम में गुम, तो तुमारी याद आती हे
अपने आप को मशरूफ रखते हे, दुनिया को दिखाने के लिये,
जब भी होते हे कोई काम में गुम, तो तुमारी याद आती हे
सोचा हे, अब तुम्हें दिल तो क्या ज़ुबाँ पर भी नही लायेंगे
सोचते ही हो जाते हे तेरे नाम में गुम, तो तुमारी याद आती हे
खरीद सकता तो खुद को बेच के ले आता वो बिता कल
फिर हो जाते हे वक़्त के दाम में गुम, तो तुमारी याद आती है।

