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Vipul Borisa

Tragedy

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Vipul Borisa

Tragedy

स्मरण वंदना

स्मरण वंदना

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वही पुरानी गलियों और रास्तो से

आज भी गुजरता हूं।

मुझे वहाँ कोई काम नही होता,

फिर भी वहीं से निकलता हूं।

पुराने घर पर ज़ब भी नजर जाती है,

यादें आँखों से टपक जाती है।

महसूस यही होता है,तुम साथ हो।

मेरी एक्टिवा की सीट थोड़ी सी भारी हो जाती है।


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