मौजी
मौजी
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तेरी याद का सितारा हूँ।
में अब अपनी ही मौज का तारा हूँ।
ना किसी का दुश्मन,
ना किसी का सखा हूँ ना यारा हूँ।
अलगारी हूँ अब, अघोरी हूँ।
मैं बहती हुई नदियाँ की धारा हूँ।
ना सुखी हूँ , ना दुःखी हूँ।
स्थिर हूँ अब, ना ही में बेचारा हूँ।
अल्लड़ हूँ अपनी ही मस्ती में,
लेकिन, ना ही में कोई आवारा हूँ।
