याद में तो है अभी
याद में तो है अभी


याद में तो है अभी भी शब्दों का आना
और तहस नहस कर जाना जीवन की शांति भी
और प्रकृति की सुरम्यता भी।
याद में तो है अभी भी
किस तरह समेटा मैंने अपने आप को
अपने में न कोई विचार मेरा न कोई अपना मेरा
जो था भी उसे दूर, बहुत कर लिया खुद से।
आज अब जब मैं अपने आप में हूँ
मेरी सीमा है मुझ तक मेरा आसमान है
मुझमें मेरी धरती है मुझमें मेरा प्रकाश है
मुझमें और दिलचस्प बात तो ये है कि
वो जो दिखता नहीं कहीं पर रहता है हर जगह
साये की तरह मेरे साथ साथ चलता है
मुझसे बात करता है और मुझे यह भी याद है कि
एक दिन उसने मुझसे कहा था
तुमसे अजीज मेरा कोई नहीं
फिर भी मैं तुम्हारे लिये कुछ नहीं कर सकता
हाँ एक बात कहे देता हूँ जिसका जो कुछ भी लिये हो
उसे, उसे वापस कर दो।