वतन पर होगा
वतन पर होगा
भाईचारा जब वतन पर होगा
द्वेष तब ना किसी मन पर होगा
गले मिलेंगे सब ईद और होली में
द्वार सजेंगे तब घर घर रंगोली में
संतोष धन रतन मन घर होगा
भाईचारा जब वतन पर होगा
आतंक राह न जब युवा चुनेंगे
सफ़लता की वे मंजिल चुमेंगे
रोजगार , स्वरोजगार अपनाकर
अधिकार होगा तब सपना पर
हर कदम जब नये चमन पर होगा
भाईचारा जब वतन पर होगा
भ्रष्ट हो न जब राजनीति राज करेगी
ज़न गण मन भाव से जब ताज करेगी
तब वह अधिनायक पर विश्वास करेगी
वो शासक जग तारेगा और खुद तरेगी
हर मस्तक विनम्र नमन तर होगा
भाईचारा जब वतन पर होगा!