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Geeta Choubey

Classics

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Geeta Choubey

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वसंत पंचमी

वसंत पंचमी

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हर साल वसंत पंचमी आती, 

वो कर रुत पावन मादक जाती। 

बहे बासंती बयार फिजा में, 

फागुन के रंग हृदय छलकाती। 

वो क्षितिज-धरा का मिलन कराती, 

 हर साल वसंत पंचमी आती।।

है नयी जवानी, नयी उमंगें, 

अब उठें तरंगै सबके मन में। 

ले, नयी उपज की नवल कोंपलें, 

फूटें खेतों में, वन -उपवन में ।

 सब जन-गण मन को वह मदमाती,

  हर साल वसंत पंचमी आती।।  

मौसम से रंग चुराकर लाती, 

वो आलसियो को वही जगाती।

वह खुशहाली का मेला लाती, 

सद्भाव जगत में है फैलाती ।

   ऋतु वसंत की जब भी है आती,

   माघे-शुक्ल पंचमी कहलाती ।।

होता शारदे मात का यह दिन, 

ज्ञान होय नही साधना के बिन।

बस हर साल प्रतीक्षा में गिन-गिन, 

सरगम की धुन करती-धिन-धिन ।

   आराधना वागीश की जाती ,

    हर साल वसंत पंचमी आती।।

विद्या दायिनी मात की पूजा, 

सच्चे मन से हम रोज करें।

हमपूजा का असली भाव- अर्थ, 

इस जीवन में सदा प्रयुक्त करें।

    अज्ञान तमस को दूर भगाती ,

    हर साल वसंत पंचमी आती ।।

माता सरस्वती के धवल वस्त्र,

नीर क्षीर विवेकी वाहन हंस।

रखती आसन पंक रहित पंकज,

रख माथे पे उनकी चरणधूलि ।

   दे वरदान मात कितने ठजाती ,

   हर साल वसंत पंचमी आती ।।

           



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