वृत्त की त्रिज्या बन जाती हैं
वृत्त की त्रिज्या बन जाती हैं
खुद पढ़ती और सबको पढ़ाती हैं ;
बेटियाँ सर्वत्र शिक्षा बढ़ाती हैं !
बाबा का मज़बूत सहारा बनती हैं ;
और अम्मा का भी हाथ बंटाती है !
मायके का कोना कोना महकाती हैं ;
ससुराल का घर-आँगन सजाती हैं !
अपना कार्यक्षेत्र बखूबी संभालती हैं ;
अपने घर की ज़िम्मेदारी निभाती हैं !
भाई-बहन,संगी-साथी संग खिलखिलाती हैं ;
कोई महत्वपूर्ण फैसला लेने से ना हिचकिचाती हैं!
आज की बेटियां एक धुरी पर नहीं नाचती है
बल्कि खुद संसार रूपी वृत्त की त्रिज्या बन जाती हैं।
