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बेज़ुबानशायर 143

Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Inspirational

'' वर्षा-रानी ''

'' वर्षा-रानी ''

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इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ।

पल भर में फैला है चहुं दिश, देखो पानी - पानी ॥०॥


गर्जन करते मेघ आ रहे, बिजली चमके भारी ।

घिर आई घनघोर घटाएं, छाई है अंधियारी ॥


नाचे मोर खुशी हो वन में, देखो अजब रवानी ।

इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ॥१॥


धरती ने मुस्कान बिखेरी, नूतन रूप संवारा ।

कृषकों के हर्षित हैं चेहरे, कितना सुखद नजारा ॥


दुल्हन सी लगती है वसुधा, ओढ़ चुनरिया धानी ।

इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ॥२॥


पानी है अनमोल, इसे न, व्यर्थ ही बहने देना ।

रखना संचित करके या फिर, भूमिगत कर लेना ॥


'अंकुर' चूके यदि यह मौका, तो होगी कठिन कहानी ।

इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ॥३॥



साहित्याला गुण द्या
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