'' वर्षा-रानी ''
'' वर्षा-रानी ''
इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ।
पल भर में फैला है चहुं दिश, देखो पानी - पानी ॥०॥
गर्जन करते मेघ आ रहे, बिजली चमके भारी ।
घिर आई घनघोर घटाएं, छाई है अंधियारी ॥
नाचे मोर खुशी हो वन में, देखो अजब रवानी ।
इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ॥१॥
धरती ने मुस्कान बिखेरी, नूतन रूप संवारा ।
कृषकों के हर्षित हैं चेहरे, कितना सुखद नजारा ॥
दुल्हन सी लगती है वसुधा, ओढ़ चुनरिया धानी ।
इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ॥२॥
पानी है अनमोल, इसे न, व्यर्थ ही बहने देना ।
रखना संचित करके या फिर, भूमिगत कर लेना ॥
'अंकुर' चूके यदि यह मौका, तो होगी कठिन कहानी ।
इठलाती मदमाती देखो, आई वर्षा रानी ॥३॥
