वृक्ष की महत्ता
वृक्ष की महत्ता
पादप को काटकर, जीवन को छांट कर,
अपने ही पथ पर, शूल तुम बो रहे।
फल फूल देने वाले, विष छीन लेने वाले,
तरू प्राण वायु वाले, खुद से ही खो रहे।
विटप बिना ये जीवन, लगे जैसे विष बेल,
शाखी काट काट कर, नियति को धो रहे।।
स्वास आस सभी गाछ, खिले जिनसे ये बाछ,
पहचान भावी को भी, आज तुम सो रहे।