वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
वो दिन बेटा अपने माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़ने आया था
उस स्थिति को भी उन्होंने हँसते हँसते अपनाया था
क्योंकि उनके लिए बेटे से बढ़कर कुछ नहीं था
और जो बेटा कर रहा है वो सब कुछ सही था।
जब बेटा उन्हें वृद्धाश्रम ले जाएगा तो वो एक रास्ता भटक जाएंगे
वह अपने बच्चों से दूर जा रहे है यह सोचकर थोड़ा झटक जाएंगे
ऐसी भी क्या बात थी जो हमे घर से निकाला जा रहा है
और खुद बच्चों के लिए मुसीबत है ये सोचकर कहीं लटक जाएंगे।
क्योंकि उन्हें तो बच्चों की ख़ुशी चाहिए वो चाहे पास होकर हो या
दूर होकर, या अपने सपने चूर होकर वो उनके लिए घर से दूर भी
चले जाएंगे, एक दिन बहुत मजबूर होकर।
उन्हें वो सब याद आएगा जो उन्होंने बचपन में अपने बच्चों को
सिखाया था, क्या ग़लत है क्या सही है सबकुछ दिखाया था,
माँ बाप के लिए तो जो हो रहा है सब अच्छा ही है, क्योंकि जो
इंसान ये सब कर रहा है वो कोई और नहीं उनका बच्चा ही है
जब बच्चा माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़कर जा रहा है उसकी आँखें
तब भी नम नहीं है, उसे यह नहीं पता की वो भगवान को घर से
निकाल रहा है उसके लिए तो घर से अभी भी कुछ कम नहीं है,
वो तो अपनी जिंदगी जी रहा है अपने दम पर ,
उसे घर से कीमती चीज जाने का कोई ग़म नहीं है
बच्चों को पूरानी चीज़ भाती नहीं है इसीलिए वो उसे फेंक देते है ,
और अब तो वृद्ध आश्रम है हर जगह तो बच्चे पुराने माँ बाप को
वहां भेज देते है, वो इतने बड़े हो गए ममता वाले सारे रिश्ते तोड़
गए, बंगले में कुत्ते पाल लिए, माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़ गए।
चलो ,
तो तुम अपने माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़कर जा रहे हो तो, बस एक
बार पीछे मुड़ कर इस द्वार को ढंग से देख लो, क्योंकि वो दिन दूर
नहीं जब तुम्हारे बच्चे तुम्हें यहां छोड़कर जाएंगे, और उस दिन तुम्हें
तुम्हारी ग़लती तुम्हारे माँ बाप दोनों याद आएंगे ।