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Satish Chandra Pandey

Tragedy

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Satish Chandra Pandey

Tragedy

वृद्धाश्रम में छोड़कर बूढ़े पिता को

वृद्धाश्रम में छोड़कर बूढ़े पिता को

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वृद्धाश्रम में छोड़कर बूढ़े पिता को

लौट आया घर, जरा सा चैन पाया

मुस्का रही अर्धांगिनी ने जल पिलाया

आज उसकी रुचि भरा भोजन बनाया।

बोली बड़ी आफत हुई है दूर हमसे

खांसी की आवाजों से छुटकारा मिलेगा

चाय देने को उठो पानी पिलाओ

इन सभी बातों से छुटकारा मिलेगा।

ज्यों ही बैठे, भोजन को परोसा

बारह बरस का पुत्र बोला बाप से

क्या सभी जाते हैं वृद्धा आश्रम में

जब वो बन जाते हैं दादा जी किसी के,

एक दिन क्या आप भी वृद्धाश्रम में,

रहने लगोगे आप जब दादा बनोगे।

चोट खाकर पुत्र की इस बात से

दो कौर भोजन के नहीं खा पाया वो,

आक़िबत का आईना अपना दिखा जब

पुत्र से कुछ भी नहीं कह पाया वो।


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