वक़्त
वक़्त
ना रोता हूँ, ना सोता हूँ बस सोचता हूँ कब फिर वो फ़साना होगा
सवालों से भरा एक इंसान हूँ मैं, पर बस ये सवाल है कि कब तेरा फिर आना होगा|
तू कुछ दूर सही, तो क्या मन्ज़र बदल जाएगा
यूँ निकल गये कई दौर, ये दौर भी निकल जाएगा
ये सोच मैं खुद को मना लेता था कभी
पर क्या जानता था कि ये सोचने वाला ख़ुद ही बदल जाएगा,
तू गयी तो ले गयी है मेरी ख़ुशियों को साथ में अपने, आते वक़्त तुझे उसे साथ में लाना होगा,
सवालों से भरा एक इंसान हूँ मैं, पर बस ये सवाल है कि कब तेरा फिर आना होगा|
ना जाने क्यूँ वक़्त यूँ थम सा गया है, बहता ही नहीं है
तेरे जाने से चुप है मेरे घर का हर कोना, कुछ कहता ही नहीं है
कुछ खाली सी हो गयी है मेरी मासूम सी ज़िंदगी
ये दिल मुझमें रहता तो है, पर रहता नहीं है,
ये भी बस एक दौर है, निकल जाएगा, ये सोच ख़ुद को फिर मनाना होगा
सवालों से भरा एक इंसान हूँ मैं, पर बस ये सवाल है कि कब तेरा फिर आना होगा|