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Arpit Sharma

Romance

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Arpit Sharma

Romance

इक़रार

इक़रार

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माना आज कुछ दूर नज़रें हैं हमारी,

इन लफ़्जों से तेरा इक़रार कर रहा हूँ

मैं रहकर भी दिल में तेरे,

सिर्फ़ तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ


ना जाने क्यों तेरे साथ हर लम्हा

शबाब सा लगता है

और जो गुज़रे तेरे बिना

वो वक़्त ख़राब सा लगता है

तेरी तस्वीरों का ही सहारा है मुझे,

मैं उनकी कसम खा कर कहता हूँ

तेरी नज़रों का मिल जाना

उन तस्वीरों में भी शराब से लगता है,


तेरी कमी जैसे सभी को

एक निशान सी है

दिखती है मेरे चेहरे पर,

पर सभी को इंकार कर रहा हूँ

मैं रहकर भी दिल में तेरे,

सिर्फ़ तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ


तेरी नाराज़गी को अपने

सर आँखों पर रखता हूँ

पर हूँ मैं भी एक इंसान,

ग़लती मैं भी कर सकता हूँ

यूँ तो मेरे सब्र की मिसाल देते हैं लोग

पर भूल जाता हूँ इंसानियत,

जब मैं तुझसे कभी दूर लगता हूँ,


ये लिखते लिखते कहीं रो ना पड़े मेरे नैन,

बस ये इख़्तियार कर रहा हूँ

मैं रहकर भी दिल में तेरे,

सिर्फ़ तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ


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