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Arpit Sharma

Romance

4  

Arpit Sharma

Romance

किनारा

किनारा

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तेरा मिलना एक दवा था या दुआ थी कोई अनसुनी

तू मिला तो मेरे इरादों को इशारा मिल गया

कुछ ग़मज़दा जो रही ज़िंदगी तो ना मलाल है अब

तू मिला है कुछ इस तरह, मेरी कश्ती को किनारा मिल गया।


मेरे दिल के कमरे में उदासी के अंधेरे थे

हम सफ़र में तो थे पर ये क़दम अकेले थे

तू मिला तो रोशन हुआ मेरे सफर का हर मुक़ाम

आज ख़ुशियों की बस्ती है वहाँ जहाँ कभी ग़मों के मेले थे


मुरझाई इस मुस्कान को तेरे आने से बहारा मिल गया

तू मिला है कुछ इस तरह, मेरी कश्ती को किनारा मिल गया।

ना देखता हूँ अब मैं मेरे पाँव के छालों पर

ना डरता हूँ अब इन बर्बादियों के तूफानों से।


तूने हाथ क्या थामा, फ़िर जी उठा हूँ मैं

जो तू साथ है मेरे, मैं टकरा जाऊँ असमानों से,

ना झुकता है सर मेरा अब बोझ से

जब से तेरे कांधे का सहारा मिल गया

तू मिला है कुछ इस तरह, मेरी कश्ती को किनारा मिल गया।


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