वक़्त पर कटाक्ष
वक़्त पर कटाक्ष
वक़्त पर कटाक्ष कर
गुज़र रहा जो समाज पर !
तू क़लम आज़ाद है
लिख तो इस समाज पर !
जो गलत है दिख रहा,
उस पर तू विचार कर !
शब्द में पिरो के तीर,
दुश्मनों पर वार कर !
तू कलम आज़ाद है,
लिख तो इस समाज पर !
शब्द से जुड़ेंगे शब्द,
काफ़िला बन जाएगा !
तब समाज में नया,
आएगा बदलाव तब !
तू कलम आज़ाद है,
लिख तो इस समाज पर !