STORYMIRROR

अजय केशरी

Inspirational

2  

अजय केशरी

Inspirational

परिंदा

परिंदा

1 min
256


उन्मुक्त गगन में उड़ने दो,

उड़ने दो इन परिंदों को.!

आज़ाद हुए है पिंजरे से,

उड़ान अभी है नई-नई.!


अभी वक़्त लगेगा उड़ने में,

सीख जाएंगे ये उड़ना फिर.!

जरा देखो इनकी उड़ान को,

नहीं थकते हैं कभी उड़ने से.!


इन्हें आसमान को छूने में,

नहीं डिगता इनका लक्ष्य कभी.!

उड़ने दो इन परिंदों को,

नहीं पिजरे में अब क़ैद करो.!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational