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नारी
नारी
अजय केशरी
Others
1
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Originality :
1.0★
by 1 user
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Language :
1.0★
by 1 user
-
Cover design :
1.0★
by 1 user
अजय केशरी
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नारी
नारी
हम तमाशा बन गए है,
दुनिया के बाज़ार में.!
वो लगाता मोल भाव,
ले जाता है खरीद के.!
हो जाती नीलाम है,
सरेआम मेरी आबरू.!
क्यों हमें कमज़ोर किया,
मेरे ही अपने सभी.!
बिन सहारे जी न पाते,
गढ़ दी ऐसी काया है.!
बना दिया अबला मुझे,
और कह दिया तू औरत है..
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