प्रदूषण
प्रदूषण


जल बिना जीवन नहीं है,
जीवन ही है जल
काट रहें है पेड़ पौधों को,
बना रहें है घर
आबादी अभिशाप बनी है,
रोज़ ही बढ़ती जा रही
निगल रही है हर संसाधन,
प्रकृति ने जो दी है
हवा प्रदूषित हो गई,
नदियां हो गई गंदी है
पेड़ पौधों को काट दिए है,
ताप बढ़ती ही जा रही
अभी नहीं सम्हले तो हम,
जीवन बचना मुश्किल है
ताप बढ़ेगा इतना जग में,
सब कुछ राख हो जाएगा