नारी व्यथा...
नारी व्यथा...
1 min
237
कितनी नज़रों ने है ताका,
अंदर तक मुझे घूरा है
नारी देह को गिद्ध नज़र से,
सबने मुझको लुटा है
नज़रों ही नज़रों में लगता,
लूटी मेरी इज़्जत है
तार-तार कर दिया है इज़्जत,
कहाँ-कहाँ नही घूरा है
नज़रों से बिध गया शरीर है,
नही जान अब इसमें है
अपने देह से घृणा हो रही,
जैसे मैं खिलौना हूँ