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Surendra kumar singh

Inspirational

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Surendra kumar singh

Inspirational

वो तनाव को हंसी से मार रहा था

वो तनाव को हंसी से मार रहा था

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वो तनाव को हंसी से मार रहा था

बोला तुम भी आओ

अपने पड़ोसी को भी साथ लाओ

अपने घर की चहारदीवारी से निकलो

और मेरे साथ शहर के

व्यस्ततम चौराहे पर चलो।


लगाएंगे हम ठहाके साथ साथ

हमारी हंसी की अनुगूंज से

फैले हुये तनाव में दरार पड़ेगी

सदियों से काई की तरह जमें हुए तनाव

भरभराकर धूल बनेंगे

तब हम सब एक और ठहाका लगाएंगे

और हमारे ठहाकों की लहर में

तनावों के कण उड़ेंगें

उड़ते उड़ते पहाड़ तक जायेंगे।


वो तनाव को हंसी से मार रहा था

बोला तुम भी आओ

मुस्कराने की अदा सीखो

जीने की कला की तरह

तनावों में मुस्कराओ।

युग की बीमारी की दवा है हंसी

हमारी सरकार की शक्ति है।


हंसी गृह नीति है

हंसी बाजार में निवेश है

हंसी सांस्कृतिक सम्बन्ध है

हंसी आर्थिक उन्नति का सिम्बल है

हंसी वैधानिक ब्यवस्था है

हंसी हंसी का राज बनाओ

और इसे सीमा के उस पार तक ले जाओ।


छोटे छोटे देश

क्रोध,भूख,प्यास अशिक्षा

अज्ञान कुपोषण

और वो नारी उत्पीड़न,

बंदूकों का चलन

सबको हंसी में मिलाओ

एक नया समाज बनाओ।


एक नया राज बनाओ

छोड़ो छोटे मोटे तराने

साम्राज्यवाद की बातें

आणविक हथियारों की बातें

घुसपैठियों की काली करतूतें

बस हंसो और हंसाओ

हंसते हंसते युग की सारी बीमारी भगाओ।


बस आदमी को बचाओ

बस एक अदद हंसते हुये आदमी को बचाओ

भई अजीब शख्स है

वो पहाड़ से गिरा तो मुस्करा रहा था

बाढ़ बे बहा तो मुस्करा रहा था

आग में जला तो मुस्करा रहा था

असफल हुआ तो मुस्कराया।


समस्याओं से घिरा तो मुस्कराया

आजकल अंधेरे में मुस्करा रहा है

बस हंसते हुए गुनगुना रहा है

वो हंसी को तनाव से मार रहा था

और बोला तुम भी आओ

कम से कम एक बार मेरे साथ मुस्कराओ।


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