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Rajbahadur Yadav

Inspirational

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Rajbahadur Yadav

Inspirational

"द्यूत सभा में द्रौपदी की पुकार"

"द्यूत सभा में द्रौपदी की पुकार"

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तोहरे अंगुरी में हम बांधि रहे,

जब चक्र सुदर्शन के घाव रहे।

खियाल नहीं तोंहका रच्चउ,

जो आज हमहिं तू भूलि रहे।।


           फाड़ि के साड़ी क पल्लू हो बिरना,

           अंंगुरी में रोके तब खूनें का गिरना।

           बांधि दिया अंगुली में जब धागा,

           भइया बहिनी क तब प्रेम हो जागा।।


कहलअ भैया सुन ले मोरी बहिनी,

उतारब ऋण इ सूत में भगिनी।

उ मूर में जोखिम कबंउ न रहे,

यहि सोचि तो आज पुकारि रहे।।


            इस द्यूत सभा में ना वीर रहे,

           सब सजन तो आज अधीर रहे।

             आवइ में जउ देर तू करबअ,

             त इ बहिनी न तोहार रहे।।


देख दुशासन खींचत सारी,

द्यूत सभा में सजना सब हारी।

तोहरे बहिनी के न मान रहे,

त हमार तोहार न नाम रहे।।


             का गलती हम कीन्ही हो भैया,

             जो बूझत बाटअ हमका परैया।

             बहिनी ना तोहार अब हांथ रहे।

            सुन ल हो बिरना निहाथ रहे।।


बोलावत बाटी आवअ हो भैया,

बीच भंवर में फंसी मोरी नैया।

कसम वहि खूने क बांधि रहे,

सुनि ल हो बिरना निहारि रहे।।


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