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Abhishek Kumar

Inspirational

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Abhishek Kumar

Inspirational

उम्मीद

उम्मीद

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रुक जाओ !

भाग क्यों रहे हो ?

थक जाओगे सहाब,

सो जाओ !

जाग क्यों रहे हों ?


कितना भागेंगे ? 

सपने ही तो हैं !

नए सज़ा लेना।

किसी के लिए 

सम्मान गिरा दोगे ?

क़रीबी था तो था !

नए बना लेना।


जो पीछे छूट गया,

उसके पीछे भागने

का क्या अर्थ हैं ?

किसी के लिए

उतना ही करो,

जितना समर्थ हैं।


तुम जो कर रहे,

ये जी हुजूरी हैं।

अब तो जागो !

छोड़ो, मजदूरी है !

मत भटकों,

ख़ुद में ढूंढो,

तभी यात्रा पूरी है।


ये दिन नया हैं,

चुनो एक राह नई,

पंख फैलाओ,

फड़फ़ड़ाओ,

उड़ जाओ, खोजो !

उम्मीद नया

आसमान नई।


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