उम्मीद
उम्मीद
रुक जाओ !
भाग क्यों रहे हो ?
थक जाओगे सहाब,
सो जाओ !
जाग क्यों रहे हों ?
कितना भागेंगे ?
सपने ही तो हैं !
नए सज़ा लेना।
किसी के लिए
सम्मान गिरा दोगे ?
क़रीबी था तो था !
नए बना लेना।
जो पीछे छूट गया,
उसके पीछे भागने
का क्या अर्थ हैं ?
किसी के लिए
उतना ही करो,
जितना समर्थ हैं।
तुम जो कर रहे,
ये जी हुजूरी हैं।
अब तो जागो !
छोड़ो, मजदूरी है !
मत भटकों,
ख़ुद में ढूंढो,
तभी यात्रा पूरी है।
ये दिन नया हैं,
चुनो एक राह नई,
पंख फैलाओ,
फड़फ़ड़ाओ,
उड़ जाओ, खोजो !
उम्मीद नया
आसमान नई।
