में मैं हूँ
में मैं हूँ
मुझे बचाने वाला अब कोई नहीं रहा।
फिर भी मैं मुझे मारने वालों के
बीच में ही रहती हूँ।
क्या कहूँ कोई इंसान ही नहीं रहे
फिर भी जानवरों मे इंसान धुन रहीं हूँ।
सकल से तो इंसान ही है सोच जानवर बन गए
और इसी सोच मे कोई अकल धून रहीं हूँ।
शायद शब्द इस्तेमाल करके
क्या में मुझे बचने वाला धुंड रही हूँ।
कोई तोह जरूर होगा यह सच में एक मजाक है,
कोई नहीं है इसी हकीकत मैं
अपना खुद का कोशिश छुपा है।
सुनने वाला खुद हकीकत से वाकिफ है
मैं अपने मुँह से कर्तव्य निभा रहीं थी
ताकि सुन्ने वाला को ये कहना ना पड़े
कि मैंने बताया ही नहीं।
अजीब है यह शब्द बिलकुल गलत है
हकीकत को अजीब बनाया गया
तभी तो अजीब लगा।
क्या करे तू भी उसका वो भी तेरा
आप सब लोग तो हम सब लोग बन गये,
मेरा क्या मैं कोन हूँ बन गयी।
खैर यहीं सहीं में मैं हूँ।
