मेरी साँसें
मेरी साँसें
घुट रही है सांसे मेरी
सुख है चैन कहाँँ से पाऊं।
बना शहर में मेरा घरौंदा
ताजी हवा कहां से लाऊं
नन्ही सी गौरैया को मैंने
आंगन में उड़ते देखा
कच्ची छत में बना घोंसला
मैंने आंखों से देखा
सुंदर-सुंदर पंख सुनहरे
ढूंढ कहां से मै लाऊँ
प्यारी छोटी सी चिडिय़ा
मैं कहाँ से दिखलाऊँ
आगे बढ़ने की इस धुन में
इतना आगे आ गये हम
चाँद तक तो पहुँच गये
चांदनी निर्मल खो गए हम।
