STORYMIRROR

Mukesh Bissa

Inspirational

4  

Mukesh Bissa

Inspirational

वो पुराना पेड़

वो पुराना पेड़

1 min
23.9K


हो चुका हूं 

अब बूढ़ा मैं

बहुत हो चुकी

है अब उम्र भी मेरी

कितने सालों से

हूँ अपने पैरों पर खड़ा

कितनी सर्दी, गर्मी

बारिश और कई

मौसमों का, तूफानों का

सामना कर चुका हूं


हमेशा रही कुछ

देने की इच्छा

पाना कभी किसी से 

तो चाहा नहीं

कितने पंथी

कितने राही

मेरे आगोश में

शीतलता पा चुके

कुछ सुकून पा चुके

लेकिन अब समय की

अविरल धारा में 

परिवर्तन ही आ गया है

नूर मेरे चेहरे का

खो कहीं गया है


शीतलता अब रही नहीं

उष्णता फैल रही है

छाया दूर हो गई है

पत्ते बिखर गए है

सारे मौसम मुझे अब

अजीब से लग रहे है

लगता है मुझे अब

वृद्ध सा हो गया हूँ

ज्यादा नहीं तो 

केवल थोड़े काम का

अब रह गया हूँ

बचा खुचा जीवन

न्यौछावर तो 

ही करना है

वक्त की आंधी में  

उड़कर मिट्टी में 

मिल ही जाना है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational