वो फूल
वो फूल
दिशाओं के
चेहरे पढ़ता हुआ
और हवाओं की साँसों
को गिनता हुआ
वसन्त आने
की बाट जोहता
एक फूल
भूल गया ये
बात की उसका
वसन्त तो बस
तुम्हारे ज़ुल्फ़ों में
ही बसता है
जब धरती पर
सब कह रहे कि
वसन्त आ गया
वो फूल कैसे
माने की वसन्त
आ गया।
दिशाओं के
चेहरे पढ़ता हुआ
और हवाओं की साँसों
को गिनता हुआ
वसन्त आने
की बाट जोहता
एक फूल
भूल गया ये
बात की उसका
वसन्त तो बस
तुम्हारे ज़ुल्फ़ों में
ही बसता है
जब धरती पर
सब कह रहे कि
वसन्त आ गया
वो फूल कैसे
माने की वसन्त
आ गया।