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कल्पना 'खूबसूरत ख़याल'

Others

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कल्पना 'खूबसूरत ख़याल'

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बसन्त

बसन्त

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बसन्ती हवाओं ने मौसम

को गुलाबी कर दिया

है घास में छोटे छोटे

फूल खिल चुके हैं

पौधों में नई पत्तियां आ चुकी हैं


ऋतुराज के आने की आहट

खेतों में फूली सरसों ने

पहले ही बता दी थी

गेंदा- गुलाब सब महक रहे हैं


औरतें राग गया रही हैं

बच्चे मुस्कुरा रहे हैं


मग़र जिंदगी मुझे झूठे दिलासा

दे रही है, धरती पर बसन्त बिखरा है

पतझड़ बस मेरे आंगन में है।


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