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RAVI SHEKHAR

Children

3  

RAVI SHEKHAR

Children

वो लम्हें

वो लम्हें

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आज कितने दिनों बाद फिर याद आये वो लम्हे

हर मोड़ पर सबके साथ थे बीते हुए वो लम्हे

ना समाज की कोई बंदिश थी ना कोई बेर था

आज जब बीत गया है बचपन तो हर कोई गैर था

सब मिलकर मुझे सिखाते थे सब मिलकर पढ़ाते थे

ना जाने क्या खता हुई कि आज सब मजबूर हैं

आज कितने दिनों बाद फिर याद आये वो लम्हे

दूरियाँ क्यों बढ़ा लीं इस कदर कि अपनों से भी बेखबर

उस बचपन के प्यार को अब ढूंढते है दर  ब दर

कुछ ना वापस मिलेगा इस जहान में, जियूँ कैसे फिर वो लम्हे

सारी खुशियाँ आज गुम सी गयी हैं ना  जाने हूँ मैं

आज किस जहान में

आज कितने दिनों बाद फिर याद आये वो लम्हे 


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