वो जो खो गया है कही,
वो जो खो गया है कही,
वो जो खो गया है कहींं,
आज भी मेरे साथ चलता है
जिसे भूल रही हूँ हर घड़ी,
हर पल मुझसे वो बात करता है
मेरी खामोशी की वो एक ही आवाज़ है,
मेरे शोरगुल में भी मेरे साथ है,
ना नफ़रत है, ना ही अब प्यार है
फिर भी ना जाने क्यूँ, धड़कन के इतने पास है।
वो जो खो गया है कहींं,
आज भी मेरे साथ है।
मेरे ख्वाबों का पहला दर्शक है वो,
मेरे हर संगीत का पहला श्रोता है वो,
कभी मेरी कहानी का किरदार,
तो कभी मेरी जुबां का एकलौता अल्फाज़ है वो,
मेरे कलम की स्याही, मेरे शब्दों की जान है वो,
जो खो गया है कहीं,
आज भी मेरे साथ है वो।
सूरज के साथ रौशनी जैसे,
और चाँद के पास उसकी चाँदनी,
कुछ इसी तरह भटक रहा है वो,
हर पल मेरे आस-पास कहीं,
मानो पता चल गया हो उसे,
सिर्फ़ उस पर ही है मेरी हर कहानी टिकी।
वो जो खो गया था कभी,
आज भी मेरे साथ है यही कहीं।
गुरुर में है थोड़ा, थोड़ा अड़ चुका है,
बिछड़ता भी नही, अब ऐसा जुड़ चुका है
पर मिलता भी नहीं, शायद मुझसे रूठ चुका है।
अपनी तो कह जाता है
बस मेरी ही सुन कर थक चुका है।
वो जो खो गया था कभी,
आज भी मेरे साथ चल रहा है
मेरी हर मुस्कान, मेरा हर आसूँ
ना जाने क्यूँ नज़रन्दाज़ कर रहा है,
जिद्दी तो मैं हूँ, लेकिन अब
वो चीजें बर्दाश के बहार कर रहा है
उसे शायद मालुम भी नही,
मेरा सब्र आज भी उसी का इंतज़ार कर रहा है।
वो जो खो गया है कहीं,
अब तो हर जगह दिख रहा है।