वो एक दिन
वो एक दिन
वो एक दिन
जिसमें ढूँढना चाहते हैं
वो बच्चा स्कूल वाला,
वो दोस्तों में झगड़ा
टिफ़िन वाला वो बच्चा जो
रहता खुद की धुन में मतवाला,
जाये जब पापा बाहर
वो माँ का ध्यान रखने वाला
हिम्मतवाला हाँ हाँ
ढूंढेंगे जब आएगा वो एक दिन।
वो एक दिन जब मिलेंगे
कॉलेज के कमीनों से,
दिल के उन सच्चे नगीनों से,
बिताएंगे पूरी रात मस्ती वाली,
साथ में रस्ते की चाय सस्ती वाली।
जब आएगा वो एक दिन
वो एक दिन
जब मिलेंगी दफ्तर से छुट्टी,
मेरे पैरों को छुएगी
मेरे गांवों की मिटटी।
होगा साथ बरगद के पेड़
और पीपल की छाँव का,
माँ का प्यार और
प्यार भरी रोटियां।
खाएंगे पेट भर के जब
आएगा वो एक दिन
वो एक दिन
जब हम सपनों को
जीना चाहते हैं।
सारे ग़मों को पीना चाहते हैं,
हो गये हैं जो फासले अपनों में,
उसे प्यार के धागे से सीना चाहते हैं,
हाँ हाँ हाँ हाँ
जब आएगा वो एक दिन।
वो एक दिन
जब हम सब कुछ
भूलना चाहते हैं,
जब हम खुद में
खोना चाहते हैं।
एक छोटे बच्चे की
तरह हँसना और
खुल के दिल से
रोना चाहते हैं,
वो एक दिन
पर क्यों वो
एक दिन नहीं आता है ?
पूरा साल गुज़र जाता है
पर वो एक दिन नहीं आता है,
जीते हैं हम हज़ारों दिन
पर वो एक दिन
क्यों कहीं खो जाता है ?
करते हैं इंतज़ार
उम्र भर उस एक दिन का,
वो एक दिन नहीं आता है
पर हमारा आखरी
दिन ज़रूर आ जाता है।
तब ख़्याल बस यही आता है कि
"क्यों जीया में इतने दिन
जब मैं चाहता था जीना
सिर्फ एक दिन
सिर्फ एक दिन
सिर्फ वह एक दिन।"