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Reh Amlani

Romance Tragedy

4.6  

Reh Amlani

Romance Tragedy

उलझन और आस

उलझन और आस

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कोई इतना खास है की दिल पे

उसका राज है,

धड़कनों पे उसका नाम है,

जैसे दिल धड़काना उसका काम है,

वो है तो दिल को आराम है,

वरना ज़िन्दगी का राम राम है,


आते है बस उसी के ख़्वाब अब मुझे,

टूट जाने के बाद अब नींद आती ना मुझे,

कैसे बताऊ हालत अपनी मैं तुझे,

नहीं दिखता तड़पता दिल,

बस दिखती है मेरी झूठी मुस्कान तुझे,


आज भी हर दुआ में तेरा नाम शामिल है,

पता है मेरा दिल तेरे लिए पहले से ना काबिल है,

ना देता में तुझे किसी बात की दुहाई,

पर अफ़सोस की

तुझे नहीं दी

मेरे दिल की आह सुनाई,


पहले में तेरा ना था शायद,

पर नहीं हूँ मैं अब किसी का,

शायद तोड़ा होगा मैने भी किसी को,

ये जुर्माना है आज उसी का,

बस उलझ के रह गया हूँ में बस इन में ही,

क्या करू सोचता हूँ आज भी में दिल से ही,

नहीं पता अब मुझे की क्या कर रहा हूँ ,

हूँ में ज़िंदा पर क्यों नहीं जी रहा हूँ ?


पहले में ढूँढा करता था तुझको..

आज ढूँढता हूँ में बस खुद को,

बस फिर से साफ़ दिल से जी रहा हूँ मैं,

कभी ना कभी तो नज़र आएगा उसको... 


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