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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

वो बेवफ़ा निकली

वो बेवफ़ा निकली

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वो बेवफ़ा निकली हमें छोड़ गई, 

ज़िन्दगी हमारी जहन्नुम बना गई। 


आँखों पर बैठाया सारी ज़िन्दगी, 

वो अब हमारी तरफ़ देखते नहीं।


अजनबी की तरफ़ प्यार से देखा, 

हमें घूरते हुए करती अशिष्टता है। 


राह चलते प्रेम दोनों को हुआ था, 

राहों का प्रेम ज़्यादा चलता ना है। 


जब पहले उनके घर जाता था मैं, 

बहुत आदर सत्कार वो करती थी। 


सरेआम उन्हें धोखा देते पकड़े थे, 

चोरी पकड़ी जाने पर नाराज़ हुए। 


मेरे दु:ख पर रोना मत दोस्तों तुम, 

प्यार करने से पहले प्रेम पहचानें।


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