Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Saumya Singh

Inspirational

4  

Saumya Singh

Inspirational

वो औरत.....

वो औरत.....

3 mins
214


(धरती पर तन,अम्बर में मन मस्त उड़ाने भरता है।।

अस्तित्वहीन नर होकर गिरता धरती पर मरता है।।)


अपने वजूद मे ,ज़िन्दा कहीँ, खुद को ढूढ़ रही वो,

समाज के तानों से ,हर एक दिन जूझ रही वो।

हाँ माना उसके लिए वर्जित है ,लाल रँग।।

माना वर्जित है हर वो चीज,जिससे सूखे लकड़ी के बुरादे

जैसे होठों पर मुस्कान की एक बूँद बारिश हो सके,

हाँ माना पुरूष प्रधान समाज है,पर उसके (नारी)

की वजह से पुरूष का अस्तित्व आज है,

माना वो विधवा है, पर उसका क्या दोष?

इस मुश्किल दौर में भी ,दुगना है उसका जोश।।

आखिर उसके अस्मिता की परीक्षा क्यों!?

हाँ वो अकेले ही सही ,पर पुरूष मानसिकता से दूर, समय की दहलीज पर ,

रचती वो,प्रेम और रूहानी सुकून,बदले में पाती वो हज़ारो नसीहतें!

आखिर उसके धैर्य और अस्मिता की परीक्षा क्यों?

हरबार पुरूष उसे बदनाम करने मे पीछे कहा रहता है?

सरेआम पैतरे बदलता है,हर बार ही क्यों ,उस नारी की देह तक पहुंचता है?

और वो खुद के अस्तित्वहीन अस्तित्व की तलाश में बेखौफ दहलीज लांघती है,


देह ,अस्मिता और रूहानियत की पगडंडियों में अकेले ही सही ,

वो झाँसी की रानी बन जाती है,

वो माँ दुर्गा और माँ काली बन जाती है।।


जो छिपकली से कभी डरा करती थी ,

आज सिंगल पेरेंट्स होते ही शेर से लड़ जाया करती है।।


करवाचौथ आता है,करवाचौथ जाता है!

पर कितना मन पर उसके आघात कर जाता है,

सजना संवरना भी कभी लड़कियों से कोई छीन ले तो उसका अस्तित्व ही क्या?


हाँ वो विधवा है,पर महान है,किसी से कम नहीं,

हाउसवाइफ से वर्किंगवुमेन का सफर,

उसके तीन प्यारे बच्चों का भरण पोषण,

सब अकेले ही सम्भाल रही वो,

खुद सम्भली भी नही पर संभाल रही है सब,

दबिश है,पाबंदिया है,इस संकीर्ण सामाजिक मानसिकता की,

वो ये करे,ये ना करे,पवित्र काम मे दखल न दे .........

आज उसी समाज मे रहकर ,समाज से अलग कर दी गयी है वो।

समाज कब जीने देता उसे,अगर वो हिम्मत न करती।।

गिरती पर वो खुद ही संभलती।।

 

आज वो अपने प्यारे छणों में बिताए

तीन प्यारे प्यारे बीजों को सींच रही।।

फल के इंतजार में जिये जा रही।।

उसके अस्तित्वहीन अस्तित्व और उसका वज़ूद अब दिखने लगा है,

प्यारे बीजों का अंकुरण और फैलाव बढ़ने जो लगा,

मानो सामाजिक सोच पर थप्पड़ पड़ने सा लगा है,


आज हम तीन जहाँ खड़े भर हो जायें,

है किसकी औकात जो आपपर सवाल उठाए?

हाँ आप मेरी माँ हो ,और मुझे गर्व है,

मैने आपके होते कभी पापा की कमी महसूस न की हमने,

हां याद मुझे भी उनकी आयी बहुत और आएगी भी,

पर हमसे ज्यादा आप हर रोज तड़पते हो उनकी यादों में,

जब भी तन्हा होते हो,हम खुशियों में अक्सर भूल भी जाते हैं

उन्हें पर खुशी के पलों में मैन आपको और उदास देखा है,

आपको उनकी तस्वीर के आसपास ही देखा है।।


माँ आपके संघर्ष में खिले हम तीनों हैं आपके अनमोल फल,

हम तीनोँ मिल लिखेँगे एक नया कल,भले ही आज न सही तो कल।।


अस्तित्वहीन आप नहीं,लोगो की सोच थी।।

पर धीरे धीरे ये संकीर्णतायें अस्तित्वहीन हो जाएगी।।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational