STORYMIRROR

Arunima Bahadur

Inspirational

4  

Arunima Bahadur

Inspirational

वो अजनबी इश्क़

वो अजनबी इश्क़

1 min
283

क्यो न हिला दूं,मैं साम्राज्य अपना,जो शायद अहम से पोषित हैं,

शायद मिथ्या नींव पर खड़ा है।पाने को नाम,यश के झोंके,धन के पीछे भागता सदा है।।

शायद अलग हो जाऊंगी मैं,समझदारों की दुनिया मे,

नासमझ भी कहलाऊंगी,पर जान तो पाऊंगी में खुद को,खुद से तो मिल पाऊंगी।।

आज तोड़कर अपना यह साम्राज्य,सत्य राह की राही बन पाऊंगी,

नही जानती कैसे,पर खुद से खुद की लड़ाई,तभी मैं जीत पाऊंगी।।

आज चुन एक अलग राह,खुद को ही तो बदलना है,

नाम,यश,लोभ बंधन से,मुक्त मुझे अब होना है।

शायद जानना है मुझे,जीवन पथ के उद्देश्य को,

सम्हालना हैं मुझे,टूटते,कराहते पथिको को,

चल रही हूं बनाने,एक नया साम्राज्य,जो केवल प्रेम,

करुणा का बना हो,वसुधैव कुटुम्बकम से ओत प्रोत,

जिसका ईंट ईट चुना हो।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational