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Anju Singh

Abstract

3.3  

Anju Singh

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वक्त वक्त की बात

वक्त वक्त की बात

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वक्त वक्त की बात है

हर पल ना कोई साथ है

मतलब की ही तो बात है

देता नहीं हरदम कोई साथ है


लोग देते हैसियत का साथ हैं

कम हो जरा अगर 

छोड़ देतें साथ हैं

पल भर में बदल जाते हैं लोग

नई नहीं यह बात है


वक्त एक दिन सबका होता

वक्त एक सा नहीं रहता

कभी वक्त सर चढ़कर बोलता

कभी वक्त है बहुत रुलाता


यहां राजा कभी रंक बन जाता

और कभी रंक राजा बन जाता

कुछ भी नहीं अपने हाथों में

सब‌ कुछ वक्त ही बतलाता


वक्त से पहले कुछ ना मिला किसी को

और ना भाग्य से ज्यादा पाता है

 क

र्म कर संतोष करों

कर्म ही भाग्य विधाता है


जैसा कर्म होगा खुद का 

वैसा ही फल पाओगे

औकात क्या है खुद की

 यह वक्त ही बताएगा


कल तक तेरा साथ था 

मेरे सर पर तेरा हाथ था

प्यार भरा जज्बात था

आज ऐसी नहीं कोई बात है

ये वक्त वक्त की बात है


कभी कोई रहता अर्श पर

कभी आ जाता फर्श पर

दिन सबका एक दिन बदलता है

सबका ही वक्त आता है

ये वक्त वक्त की बात है


कल जिसकी मुझे चाह थी

आज वो मेरे पास है

पर आज नहीं इसकी प्यास है

आज नहीं इसकी आस है

ये वक्त- वक्त की बात है!


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