वक्त और कोरोना
वक्त और कोरोना
वक़्त ने आज फिर जीना सिखाया,
जीते थे आज तक जिन पैसों के लिए
आज अपनो के साथ रहना सिखाया,
भय से त्रास हुई सृष्टि देख ऐसा मंजर,
जहाँ मेहमान था भगवान का रूप
आज इंसान से इंसान को डरना सिखाया,
वक़्त ऐसा आ चला है कि अपना
ही घर अब लगने लगा है पराया,
हे भगवान ! कहाँ से भेजा है
तूने ये कोरोना निखोटा जो ना
जीने ही दे, ना मरने ही दे..
चारों तरफ छाया सन्नाटा बेबस बने हैं
अब सभी समझ नही आ रहा
क्या करे क्या ना करें
जा चले जा यहाँ से समझ चुके है
हम सभी तू है निर्मोही, निर्दयी
वक़्त ने समझाया है अब हम सभी को
अपनो के साथ वक़्त बिताना !
