विविधता में एकता
विविधता में एकता


विश्व का एकमात्र, देश है भारत
सर्वधर्म, सदभाव है जहां।
यह संविधान से होता बलिष्ठ
विकास के सभी समान अवसर जहाँ।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सभी रहते मोती की माला जैसे।
मां भारती के रहते चरणों में
चमन में पुष्प की महक हो जैसे।
आजादी है लिखने-पढ़ने-बोलने की
नही आंकते किसी को कमतर।
अपने धर्म का परचम ठहराते
बिना दूसरों का अनादर कर।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
सभी तिरंगे का सम्मान करते।
किसी भाषा, धर्म, विचारों के हो
योग्यता से अपना ,स्थान बनातें।
देश में जब भी आता संकट
एकजुट होकर, करते मुकाबला।
विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र
सभी करते आपदा से मुकाबला।
आज भारत विश्व, गुरू बन करता
नेतृत्व, अर्थ, खेल, शिक्षा, प्रजातंत्र का।
अनेकता में एकता, इसकी विशेषता
रश्क करते सभी, भारतीयता का।