विविधता में एकता
विविधता में एकता
विविधता में एकता का फ़र्ज़ हमें निभाना है।
मातृभूमि का पावन कर्ज़ हमें ही चुकाना है।।
सुंदर इस संसार में सबको गले लगाना है।
स्नेह भरा संदेश घर-घर तक पहुँचाना है।।
धनी-निर्धन का भेद जड़ से ही मिटाना है।
सभी के संग हमें तो केवल प्रेम जताना है।।
विविध विचार होते हुए भी इक सूत्र में बंध जाना है।
सभी को आदर-मान देते हुए ही इस जहाँ से जाना है।।
अपनी दिनचर्या को सुकर्मों में ही हम सबको लगाना है।
ऐसी प्रेरणा ग्रहण कर सूर्य के समान सबको चमक जाना है।।
भिन्न-भिन्न भाषाभाषी होते हुए भी अभिलाषा एक रखनी है।
हमको अंतर आत्मा में ईर्ष्या-द्वेष बिलकुल नहीं रखनी है।।
तन-मन से खूब सेवा करने की कला हर पल रखनी है।
ऐसी अद्भुत, दिव्य ज्योति हर क्षण स्वयं में रखनी है।।
विविधता में एकता का सूत्र हम सभी को पिरोना है।
हमको अपनी अच्छाई को बिलकुल नहीं खोना है।।
हमारा प्यारा भारत देश अति सुंदर तथा सलोना है।
अनेकता में एकता का कोना अब तो हर ओर होना है।।