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निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

Abstract

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निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

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विरोधाभास

विरोधाभास

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दमकते चेहरे पर, ज़ख्म बड़े गहरे ,

खामोश जुबाँ पर , विचार की लहरें ,

निःशब्द रात पर बेहद कड़े पहरे ,

समन्वय है ये विरोधाभास !


कोमल गुलाब चहुँ ओर तीक्ष्ण कंटक,

कीचड़ में लिपटा पुलकित है पंकज ,

घनघोर जंगल फिर शीतल है गंडक ,

संतुलन है ये विरोधाभास !


नदी के मुहाने पर पथिक की प्यास ,

खचाखच भरी जमीं पर सूना आकाश ,

उर्वर मन में एक बंजर आभास ,

परीक्षक भी है ये विरोधाभास !


निरंक पृष्ठ पर सौंदर्य चित्र ,

विषम परिस्थिति में हमदर्द मित्र ,

जलते रेत से जल का आलिंगन ,

फिर मलय पवन का अभिनन्दन ,

सुखद भी है ये विरोधाभास !


जीवन विविध रूपों का परिचयक,

"विरोधाभास" में जन्मे 'नायक' !



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